राजकुमार सोनी जी की कलम से,

राष्ट्रीय एकता को समर्पित लोकप्रिय रचना।

मेरी कलम से,,, तर्ज हमरे बलमा बईमान फिल्म प्रतिघात
01 हमरे सपूत वीर, सीमा बचाने आए हैं
सरहद पे धूप में,जान लुटाने आए हैं
मां के चरणो मे, शीश झुकाने आए हैं
भारत मां के लाल, परचम लहराने आए हैं
जय हिन्द का नारा, दिल में बसाने आए हैं
“हमरे सपूत वीर सीमा बचाने आए हैं
,02

तोपो को गड़गड़ाहट, गीतो में ढल जाती है
वीरों की कुर्बानी, इतिहास बन जाती है
शेरो की ये टोली, दुश्मन को डराती है
तिरंगा लहराकर जीत घर ले आती है
शौर्य की मिसालें, दुनियां को दिखाने आए हैं
“हमरे सपूत वीर सीमा बचाने आए हैं
03

कश्मीर की वादी से कन्याकुमारी तक
उनकी ही गूंजे ह, पर्वत की चोटी तक
रखवाले ह ये धरती मां की शान के
सीने पे गोलियां लेते मुस्कान के
कहे राजकुमार हिंदुस्तानी
रण में जो लड़े ह वीरता जताने आए हैं
“हमरे सपूत वीर सीमा बचाने आए हैं
सरहद पे धूप में जान लुटाने आए हैं

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