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लड़कियों के विवाह में होनेवाली देरी समाज के लिए चिंता का विषय है। भविष्य में अनेक लड़कियां कुंवारी रह जायेगी। मैं यह बात तीन वर्ष से लिख रहा हूँ और ग्रुप में भी प्रेषित करता आया हूँ।
यही बात एक अतंर्राष्ट्रीय सर्वे से सामने आई है। 1 फरवरी 2025 के लोकमत पेपर में यह सर्वे रिपोर्ट छपी है। मॉर्गन स्टेनली इस संस्था ने लड़कियों के विवाह संबंध में अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर यह सर्वे किया है। इस सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि छह वर्ष के अंत तक दुनिया की 45℅ लड़कियां कुँवारी रह जायेगी। कारण यह दिया गया कि वर्तमान में उच्च शिक्षित लड़कियों का प्रमाण अधिक है। वे लड़कियां अपने केरियर को अधिक महत्व दे रही है। अपनी प्रगति उनके लिए महत्वपूर्ण है। वे किसी पर डिपेंड रहना नही चाहती। उन्हें स्वतंत्रता चाहिए, किसीके बंधन में रहना उन्हें पसंद नही है। वे अपने निर्णय खुद लेती है व अपनी मर्जी से जीवन जीना चाहती है। शादी के बंधन में वे बंधना नही चाहती। आज अनेक बड़ी-बड़ी कंपनियों में ऊंचे-ऊंचे पदों पर लड़कियां काम कर रही है, उनको बड़े-बड़े पैकेज भी है। आज हर क्षेत्र में लड़कियां सफलता के झंडे गाड़ रही है व नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है, लेकिन विवाह की उम्र गुजर जाने के बाद भी उनका विवाह नही हुआ है। पढ़ाई करते करते, फिर जॉब करने के चक्कर मे व फिर रिस्ता ढूंढते ढूंढते लड़कियों की उम्र बढ़ रही है। बड़ी उम्र में उच्चशिक्षित लड़कियों को विवाह के लिए समकक्ष रिस्ता मिलना कठिन हो जाता है। उम्र बढ़ जाने के बाद लड़कियों की विवाह करने में रुचि कम हो जाती है। यह जानकर आप चौक जाएंगे कि इसके अनेक उदाहरण सामने आ रहे है। विवाह करना, बच्चे को जन्म देना इसे वे अपनी प्रगति में बाधा समझती है।
लड़कियों की इस मानसिकता के दूरगामी परिणाम होंगे। समाज का ताना-बाना ही छिन्न-भिन्न हो जायेगा। परिवारवाद की कल्पना ही ढह जायेगी। शादी नही तो बच्चे भी नही होंगे। वृद्धावस्था में उन्हें सम्भालनेवाला कोई नही होगा। फिर आपकी यह प्रगति, पद, पैसा किस काम का ? वृद्धाश्रम में रहने के लिए वे मजबूर होगी। यह स्पष्ट दिख रहा है कि भविष्य में स्थिति अत्यंत बिकट होगी। बंधुओं एक वर्ग के लड़कीवालों के रवैये से मैं अत्यंत चिंतित हूँ। मैन समाज के सामने अपनी चिंता बार-बार व्यक्त की है। मैं अभिभावकों से आवाहन करता हूँ कि वे भविष्य के इस संकट को पहचाने।
यह कहने की जरूरत नही कि लड़कियां कुंवारी रही तो उसका ही परिणाम होगा कि लड़के भी कुँवरे रहेंगे। अपनी जनसंख्या भी घटेंगी।
ऐसे कुछ उदाहरण मेरे सामने है कि लड़की के माँ-बाप रिस्ता तो ढूंढ रहे है लेकिन लड़की की शादी करने में रुचि ही नही है। इसी लिए लड़की हर रिस्ते को नापसंद करती है।
समाज का एक बड़ा वर्ग इस वास्तविकता से अनजान है, उन्हें भविष्य के इस संकट से चेताने की आवशकता है। लड़कियों का विवाह 23 से 26 वर्ष की उम्र में ही हो इसके लिए समाज मे विशेष प्रयास किये जाने चाहिए।